IBN -7 ने आशुतोष को किया आउट -- दोस्तों की पार्टी "आप" में कर ली सैटिंग फिट।
शायद इसलिए ही, जमकर कोसते थे मोदी को और करते थे केजरीवाल के गुणगान।
आशुतोष के आईबीएन7 से इस्तीफा देने की बात झूठी है. उन्हें निकाला गया है. ऐसा दावा नेटवर्क18 से जुड़े एक वरिष्ठ व भरोसेमंद पदाधिकारी ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में. सूत्र का कहना है कि आशुतोष के नेतृत्व में आईबीएन7 का लगातार पतन हुआ. यह न्यूज चैनल कभी टीआरपी के मामले में नंबर चार तक पहुंच गया था लेकिन वर्षों से यह आखिरी पायदान पर पड़ा हुआ है. अब तो यह नौवें नंबर पर आ चुका है.
कंटेंट से लेकर मैनेजमेंट तक के मामले में आशुतोष फेल रहे और न्यूज चैनल चलाने के नाम पर केवल खुद की ब्रांडिंग करते रहे. प्रबंधन ने पहले आशुतोष
की सहमति से सैकड़ों लोगों को चैनल से निकाला और जब सबका सफाया कर लिया तो आशुतोष को भी इशारा कर दिया कि वे खुद निकल जाएं अन्यथा उन्हें बाहर कर दिया जाएगा. यह भी कहा जा रहा है कि आईबीएन7 से इस्तीफा देने वाले ढेर सारे वरिष्ठ पत्रकारों ने एचआर को एक्जिट इंटरव्यू में चैनल फेल्योर के लिए केवल आशुतोष का नाम लिया. साथ ही अन्य कई ऐसी जानकारियां दीं जो आशुतोष के खिलाफ गईं.
आशुतोष को मैनेजिंग एडिटर के रूप में कोई नया व कायदे का चैनल मिल नहीं रहा था. वे विनोद कापड़ी की तरह चिटफंडिया संपादक बनना नहीं चाह रहे थे. इस बीच आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में झंडा गाड़ दिया. अवसर व मौके को भांपने में माहिर आशुतोष ने आम आदमी पार्टी के नेताओं से सीधे संपर्क साधा और उन्हें अपने भरोसे व आभामंडल के अधीन किया.
इसी बीच अंदरुनी तौर पर यह डील तय हो गई कि आशुतोष इस्तीफ देकर राजनीति में आएं और आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ें. आशुतोष ने आम आदमी पार्टी वालों के सामने खुद को इस्तीफा देने जैसा शहीदाना कार्य करने वाला पेश किया. 'आप' वाले भी इस दबाव में आकर उन्हें लोकसभा टिकट देने का वादा कर बैठे. पर अब जब आशुतोष की सच्चाई एक-एक कर सामने आ रही है तो 'आप' नेता भी सकते में हैं. आशुतोष की छवि मीडिया जगत में कार्पोरेट फ्रेंडली जर्नलिस्ट की रही हैं. आईबीएन7 से निकाले गए सैकड़ों कर्मचारियों के समर्थन में जो धरना प्रदर्शन आईबीएन7 गेट के सामने हुआ उसमें लोग आशुतोष को अंबानी का दलाल बताकर नारेबाजी करते रहे.
भड़ास4मीडिया से साभार --
शायद इसलिए ही, जमकर कोसते थे मोदी को और करते थे केजरीवाल के गुणगान।
आशुतोष के आईबीएन7 से इस्तीफा देने की बात झूठी है. उन्हें निकाला गया है. ऐसा दावा नेटवर्क18 से जुड़े एक वरिष्ठ व भरोसेमंद पदाधिकारी ने भड़ास4मीडिया से बातचीत में. सूत्र का कहना है कि आशुतोष के नेतृत्व में आईबीएन7 का लगातार पतन हुआ. यह न्यूज चैनल कभी टीआरपी के मामले में नंबर चार तक पहुंच गया था लेकिन वर्षों से यह आखिरी पायदान पर पड़ा हुआ है. अब तो यह नौवें नंबर पर आ चुका है.
कंटेंट से लेकर मैनेजमेंट तक के मामले में आशुतोष फेल रहे और न्यूज चैनल चलाने के नाम पर केवल खुद की ब्रांडिंग करते रहे. प्रबंधन ने पहले आशुतोष
की सहमति से सैकड़ों लोगों को चैनल से निकाला और जब सबका सफाया कर लिया तो आशुतोष को भी इशारा कर दिया कि वे खुद निकल जाएं अन्यथा उन्हें बाहर कर दिया जाएगा. यह भी कहा जा रहा है कि आईबीएन7 से इस्तीफा देने वाले ढेर सारे वरिष्ठ पत्रकारों ने एचआर को एक्जिट इंटरव्यू में चैनल फेल्योर के लिए केवल आशुतोष का नाम लिया. साथ ही अन्य कई ऐसी जानकारियां दीं जो आशुतोष के खिलाफ गईं.
आशुतोष को मैनेजिंग एडिटर के रूप में कोई नया व कायदे का चैनल मिल नहीं रहा था. वे विनोद कापड़ी की तरह चिटफंडिया संपादक बनना नहीं चाह रहे थे. इस बीच आम आदमी पार्टी ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में झंडा गाड़ दिया. अवसर व मौके को भांपने में माहिर आशुतोष ने आम आदमी पार्टी के नेताओं से सीधे संपर्क साधा और उन्हें अपने भरोसे व आभामंडल के अधीन किया.
इसी बीच अंदरुनी तौर पर यह डील तय हो गई कि आशुतोष इस्तीफ देकर राजनीति में आएं और आम आदमी पार्टी से चुनाव लड़ें. आशुतोष ने आम आदमी पार्टी वालों के सामने खुद को इस्तीफा देने जैसा शहीदाना कार्य करने वाला पेश किया. 'आप' वाले भी इस दबाव में आकर उन्हें लोकसभा टिकट देने का वादा कर बैठे. पर अब जब आशुतोष की सच्चाई एक-एक कर सामने आ रही है तो 'आप' नेता भी सकते में हैं. आशुतोष की छवि मीडिया जगत में कार्पोरेट फ्रेंडली जर्नलिस्ट की रही हैं. आईबीएन7 से निकाले गए सैकड़ों कर्मचारियों के समर्थन में जो धरना प्रदर्शन आईबीएन7 गेट के सामने हुआ उसमें लोग आशुतोष को अंबानी का दलाल बताकर नारेबाजी करते रहे.
भड़ास4मीडिया से साभार --
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