दिग्विजय, शिंदे की साजिश, मोहनभागवत को बनाओ
आतंकवादी
मोहनभागवत को फंसाने के लिए शिंदे, दिग्विजय की छोछोरी साजिश का खुलासा।
कांग्रेसियों के भ्रष्ट्राचार के बारे में कौन
नहीं जानता। सीबीआई का इस्तेमाल और झूठ का सहारा लेकर आरोपों का छिछोरी राजनीति
करना इनका विलक्षण गुण है। लेकिन इस बार इनकी पोल खुल गयी है।
सन् 2007 में अजमेर में हुए बम ब्लास्ट के मुख्य
आरोपियों में से एक भावेश पटेल ने सीबीआई कोर्ट को चिट्ठी लिखकर बताया है कि गृह
मंत्री सुशील कुमार शिंदे, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल,
गृह राज्यमंत्री आरपीएन सिंह और दिग्विजय सिंह
ने उस पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत और आरएसएस के नेता
इंद्रेश कुमार को अजमेर ब्लास्ट में फंसाने के लिए दबाव डाला था।
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक,
पटेल ने कहा है, ''मुरादाबाद के आचार्य प्रमोद कृष्णन कृ्ष्णन ने
मेरी मुलाकात नवंबर, 2012 में दिग्विजय
सिंह से कराई थी। मैंने जब उन्हें अपने केस के बारे में बताया तो दिग्विजय ने
मुझसे कहा कि तुम चिंता मत करो। समय आने पर हम जैसा कहें,
वैसा करना।'
पटेल के मुताबिक इसके बाद कृष्णन ने उसकी
मुलाकात जायसवाल और आरपीएन सिंह से करवाई। उसका कहना है कि इन दोनों नेताओं ने
बताया कि दिग्विजय सिंह ने उन्हें सारा मामला बता दिया है और अगर वह जैसा कहा गया
है वैसा बयान देता है, तो उसे बचा लिया जाएगा। ये सभी लोग
चाहते थे कि मैं कोर्ट में आरएसएस के नेताओं को फंसाने वाला बयान दूं।'
एनआईए ने अपनी चार्जशीट में पटेल पर ब्लास्ट के
लिए साजो-सामान उपलब्ध करवाने और बम दरगाह के भीतर ले जाने का आरोप लगाया है।
गौरतलब है कि पटेल अलवर की जेल में बंद था,
वहां उसने एनआईए के ऑफिसरों के खिलाफ आमरण अनशन
शुरू कर दिया था। तबीयत बिगड़ने के बाद उसे एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया,
जहां से उसने कोर्ट को चिट्ठी लिखी है।
अब देश की जनता खुद ही अनुमान लगा सकती है कि
राहुल गांधी को अपनी प्रेरणा मानने वाले ये कांग्रेसी नेता कितने गिर चुके हैं।
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