भारत की लूटमार
जब 70-80 रुपये लागत का सीमेंट 350-375 रुपये और 5 रुपये की अंग्रेजी दवाये 150 रुपये में बेचीं जाती है तो भारत सरकार क्यों नहीं मूल्य निर्धारक अधिकरण बनाती जिससे जनता को लुट से बचाया जा सके...पढ़े....
१- भारत में कम्पनिया अपना सामान लागत से 8 से 25 गुना दामो पर बेचती है जब की कृषि उत्पादों का दाम लागत भी नहीं दे रहा है, जैसे घर बनाने के लिए सीमेंट 70-80 रुपये में बनकर तैयार हो जाता है परन्तु बाज़ार में वह 350-375 रुपये में बेचीं जाती है जब की यह सब मिटटी को पीसकर बनाया जाता है. यह एक उदहारण है. इसका दाम कंपनी तय करती है.
२- जान बचाने केलिए बनाई गयी अंग्रेजी दवाओ की कीमत लागत की २५ गुनी पर बेचीं जा रही है और इसमे किसी प्रकार का मोलभाव नहीं किया जा सकता है इसके लिए चाहे घर बेचना पड़े.
३- खेतों में डाला जाने वाला कीट नाशक भी 15-50 गुने दाम पर बेचा जाता है जिसमे सभी विदेशी कमापनिया शामिल है जिसकी बजह से खेती की लागत बहुत ज्यादा हो गयी है.
४- कहने का मतलब कारखानों में बनने वाले सामानों की कीमत इतना ज्यादा क्यों रखा जाता है जिसे भारत की जनता मजदूरी और अनाज बेचकर खरीदती है जिससे खेती लागत बढ़ने से किसान गरीब हो जाता है उसके खेती की उपज सस्ते में बिकने से किसान दरिद्र हो जाता है.
उस पर तुर्रा यह की किसानो के उपज का दाम सरकार तय करती है और कारखानों की उपज का दाम लुटेरी कम्पनिया, इसलिये बाबा रामदेव जी ने सरकार से हर सामान का मूल्य निर्धारण अधिकरण बनाने की माग की है जो की लागत पर आधारित होगा जिसका हम सबको समर्थन करना चाहए.
जय भारत
जब 70-80 रुपये लागत का सीमेंट 350-375 रुपये और 5 रुपये की अंग्रेजी दवाये 150 रुपये में बेचीं जाती है तो भारत सरकार क्यों नहीं मूल्य निर्धारक अधिकरण बनाती जिससे जनता को लुट से बचाया जा सके...पढ़े....
१- भारत में कम्पनिया अपना सामान लागत से 8 से 25 गुना दामो पर बेचती है जब की कृषि उत्पादों का दाम लागत भी नहीं दे रहा है, जैसे घर बनाने के लिए सीमेंट 70-80 रुपये में बनकर तैयार हो जाता है परन्तु बाज़ार में वह 350-375 रुपये में बेचीं जाती है जब की यह सब मिटटी को पीसकर बनाया जाता है. यह एक उदहारण है. इसका दाम कंपनी तय करती है.
२- जान बचाने केलिए बनाई गयी अंग्रेजी दवाओ की कीमत लागत की २५ गुनी पर बेचीं जा रही है और इसमे किसी प्रकार का मोलभाव नहीं किया जा सकता है इसके लिए चाहे घर बेचना पड़े.
३- खेतों में डाला जाने वाला कीट नाशक भी 15-50 गुने दाम पर बेचा जाता है जिसमे सभी विदेशी कमापनिया शामिल है जिसकी बजह से खेती की लागत बहुत ज्यादा हो गयी है.
४- कहने का मतलब कारखानों में बनने वाले सामानों की कीमत इतना ज्यादा क्यों रखा जाता है जिसे भारत की जनता मजदूरी और अनाज बेचकर खरीदती है जिससे खेती लागत बढ़ने से किसान गरीब हो जाता है उसके खेती की उपज सस्ते में बिकने से किसान दरिद्र हो जाता है.
उस पर तुर्रा यह की किसानो के उपज का दाम सरकार तय करती है और कारखानों की उपज का दाम लुटेरी कम्पनिया, इसलिये बाबा रामदेव जी ने सरकार से हर सामान का मूल्य निर्धारण अधिकरण बनाने की माग की है जो की लागत पर आधारित होगा जिसका हम सबको समर्थन करना चाहए.
जय भारत
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